GF&AR | Introduction and Defination

Chapter-1 

GF&AR Introduction and Defination

नियम 1

  • GF&AR का यह नियम राज्यपाल के अनिवार्य कार्यकारी आदेश है जिन का अनुसरण राजस्थान के अधीनस्थ विभिन्न  प्राधिकारियों(अथॉरिटी) को उन्हें सोपे गए कार्यों के निर्वहन हेतु आवश्यक निधि प्राप्त करने एवं खर्च करने में करना चाहिए। 
  • यह नियम कोषागार( treasury) नियमों के पूरक है। 

नियम 2 : परिभाषाएं

  1. महालेखाकार (AG-accountant general)
    -अकाउंट/ऑडिट या एकाउंट्स का वह कार्यालयअध्यक्ष जो राजस्थान सरकार के एकाउंट्स रखता है
  2. विनियोग
    – वह निधि  जिसे निर्धारित व्यय  को किए जाने के लिए आवंटित राशि की प्राथमिक इकाई में शामिल किया गया है 
  3. बैंक
    – SBI की कोई शाखा या किसी भी बैंक की कोई शाखा जिसे RBI द्वारा RBI act 1934  के तहत सरकारी कारोबार निष्पादित करने के लिए प्राधिकृत किया गया हो
    3(a) –  ई-फोकल पॉइंट ब्रांच (Inserted vide Circular No.20/2013 dated 11.9.2013) – यह प्रतिदिन राजकीय  प्राप्तियों/ जमाओ की रिपोर्ट  ई-कोषागार को करती है
  4. सक्षम प्राधिकारी
    -इसका तात्पर्य है सरकार या अन्य कोई ऐसा प्राधिकारी जिसे सरकार द्वारा संबंधित शक्तियां प्रत्योजित की जाएं
  5. नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG)
  6. राज्य की संचित निधि
    – यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 266 (1 ) में परिभाषित निधि है
  7. संविधान 
  8. राज्य की आकस्मिक निधि
    – संविधान के अनुच्छेद 267 (2) में परिभाषित उस निधि से है जिसमें समय-समय पर राशियों को कानून के तहत जमा किया जाएगा तथा जिसे राज्यपाल के विवेक पर रखा जाएगा 
  9. नियंत्रक अधिकारी
    – विभागाध्यक्ष या अन्य अधिकारी जिसे विभाग के अधीनस्थ प्राधिकारियों द्वारा की गई राजस्व वसूली एवं व्यय को नियंत्रित करने का दायित्व सौंपा गया है
  10. विस्तृत  शीर्ष 
    – अनुदान मांगों के  विनियोग के लिए प्राथमिक इकाई एवं वह शीर्षक जिसमें  अधीनस्थ प्राधिकारियों के विवेक पर राशियां/निधियां रखी जाती हैं
  11. आहरण एवं वितरण अधिकारी  (DDO-drawing and disbursing officer)
    – स्वयं कार्यालयाध्यक्ष एवं उसके अधीन सेवारत कोई राजपत्रित अधिकारी
  12. वित्त विभाग 
  13. वित्तीय वर्ष 
  14. राजपत्रित अधिकारी
    – अखिल भारतीय सेवा का सदस्य है
    – राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण नियंत्रण एवं अपील) नियम 1958 के अनुसूची-1 (राज्य सेवा) में दर्शित किसी पद का धारक है
    – जो किसी संविदा करार के अनुसार नियुक्त किया गया ऐसा व्यक्ति है जिसकी सरकार द्वारा की गई नियुक्ति राजपत्रित पद पर है
    – किसी पद को धारण करने वाला ऐसा सरकारी कर्मचारी है जिसके पद को राज्य सरकार द्वारा राजपत्रित पद घोषित किया गया
  15. सरकार 
  16. राज्यपाल  
  17. विभागाध्यक्ष (Head of dept.)
    – कोई भी प्राधिकारी जिसे नियमों के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा विभागाध्यक्ष घोषित किया गया हो तथा जो इन नियमों के परिशिष्ट 8 में दी गई प्रशासनिक एवं वित्तीय शक्तियों का प्रयोग करता हो 
  18. कार्यालय अध्यक्ष (Head of office)
    – राजपत्रित अधिकारी जिसे GF एंड AR पार्ट 1 के नियम 3 के अधीन विभागाध्यक्ष द्वारा अपने अधीन किसी कार्यालय के लिए कार्यालय अध्यक्ष घोषित किया गया हो  उदाहरण: उच्च माध्यमिक विद्यालय का प्रधानाचार्य
  19. स्थानीय निकाय(local bodies)
    – वह प्राधिकारी जिसे विधिक या विशेष रुप से स्थानीय निधि के प्रबंधन के लिए अधिकृत किया गया है
  20. स्थानीय निधि
    –  इन नियमों के अध्याय 16 के नियम 268(2) में परिभाषित निधि
  21. विविध  व्यय
    – राज्य कर्मचारियों के वेतन एवं भत्ते, अवकाश, पेंशन, आकस्मिक व्यय, सहायता अनुदान,  अंशदान,  ओजार एवं संयंत्र  आदि
  22. अनावर्तक व्यय 
  23. राज्य का लोक लेखा
    – संविधान के अनुच्छेद 266(2) में परिभाषित वह निधि जो राज्य की संचित निधि में सम्मिलित की जाने वाली राशियों के अतिरिक्त अन्य सार्वजनिक  निधियों से मिलकर बनती है
  24. लोक निर्माण कार्य
    – सिविल निर्माण कार्य सिंचाई प्रबंधन ड्रेनेज आदि कार्य
  25. पुनर्विनियोग 
    – विनियोग की एक इकाई से विनियोग की दूसरी इकाई में निधियों का अंतरण 
  26. आवर्तक व्यय 
  27. प्रादेशिक /क्षेत्रीय अधिकारी (Regional officer)
    – विभागाध्यक्ष के अधीन एवं कार्यालय अध्यक्ष से ऊपर के पद का ऐसा अधिकारी जो कुछ निर्धारित कार्यालय अध्यक्षों पर प्रशासनिक नियंत्रण रखता है जैसे उपनिदेशक शिक्षा विभाग
  28. अधीनस्थ प्राधिकारी
    –  राज्य सरकार के विभाग या राज्यपाल के अधीनस्थ कोई प्राधिकारी
  29. कोषागार (treasury)
    – जिले के मुख्य कार्यालयों पर स्थित कोष कार्यालय, इसमें उपकोषागार शामिल है। वर्तमान में 39  कोषागार और 226 उपकोषागार हैं।
    29(a) इ-कोषागार( Inserted vide Circular No.20/2013 dated 11.9.2013): कोषागार एवं उपकोषागार का केंद्रीय भाग जो राजकीय विभागों की ऑनलाइन प्राप्तियों के कार्य का प्रबंधन करता है
  30. कोषागार नियम  
  31. E-Payment :
    -इससे तात्पर्य करो या सरकार के किसी भी बकाया का बैंक की इलेक्ट्रॉनिक सेवा से ट्रांसफर करके भुगतान करने से है, जिसमें भुक्तान कर्ता के बैंक खाते से राशि तुरंत कम होकर सरकार के खाते में जमा हो जाती है
  32. Electronic Payment : (Inserted vide Circular No.20/2013 dated 11.9.2013)
    -ऐसे भुगतान जो इलेक्ट्रॉनिक प्रक्रिया द्वारा कोषागार /उपकोषागार द्वारा सीधे ही संबंधित कर्मचारी अथवा भुगतान प्राप्त करने वाले व्यक्ति/फर्म के बैंक खातों में धन राशियों का ट्रांसफर करता है
  33. ई ग्रास(Electronic government receipt accounting system) :
    -(Inserted vide Circular No.20/2013 dated 11.9.2013)
    – राज्य सरकार की प्राप्तियां (कर व गैर कर) समय-समय पर राज्य सरकार द्वारा जारी की गई प्रक्रिया के अनुसार राजकोष में ऑनलाइन जमा की जाएगी
  34. इ-ऑक्शन(Inserted vide Circular No.01/2016 dated 15.02.2016):
    -किसी भी सक्षम सरकारी संस्था के बीच नीलामी (नीलामकर्ता के रूप में) और बोली लगाने वाले इलेक्ट्रॉनिक रूप से  भाग लेंगे

नियम 3 (क) (1): विभागाध्यक्षों को अपने अधीनस्थ किसी भी राजपत्रित अधिकारी को इन नियमों एवं अन्य वित्तीय नियमों के प्रयोजनार्थ कार्यालय अध्यक्ष घोषित करने की शक्ति प्राप्त होगी। 

नियम 3 (क) (2): उपर्युक्त नियम के अंतर्गत जारी किए जाने वाले आदेश का प्रारूप दिया गया है। 

नियम 3 (ख) : कार्यालय अध्यक्ष अपने अधीन सेवा करने वाले किसी भी राजपत्रीत अधिकारी को आहरण एवं वितरण अधिकारी घोषित कर सकेगा तो था उसे राजपत्रित अधिकारियों के वेतन भत्तों संबंधित बिलों के अतिरिक्त किसी भी बिल पर अपनी ओर से हस्ताक्षर करने के लिए प्राधिकृत कर सकेगा।
– राजपत्रित अधिकारियों के वेतन एवं भत्तों के बिल अनिवार्य रूप से कार्यालय अध्यक्ष/विभागाध्यक्ष के हस्ताक्षरों से  आहरित किए जाएंगे।

नियम 4 : इन नियमों के संबंध में किसी भी प्रकार का संदेह उत्पन्न होने पर मामले को वित्त विभाग के पास निर्णय हेतु प्रेषित किया जाएगा।

अन्य महत्वपूर्ण जानकारी : 

-महालेखाकार द्वारा राजस्थान सरकार के मासिक संकलित लेखे तैयार किए जाते हैं

-महालेखाकार द्वारा वार्षिक आधार पर तैयार की गई राज्य अंकेषण रिपोर्ट का परीक्षण लोक लेखा समिति द्वारा किया जाता है 

-कोषाधिकारी राजस्थान लेखा सेवा का अधिकारी होता है 

-कार्यालय अध्यक्ष द्वारा घोषित आहरण वितरण अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित बिल के सही होने /सही भुगतान होने के संबंध में कार्यालय अध्यक्ष भी पूर्णतया जिम्मेदार होता है 

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